बंगाल मे लघभग आठ महीने हो गए पत्रकारिता के , हालाँकि यह समय इस विचार को व्यक्त करना उचित नही है लेकिन कुछ घटनाक्रम हुए यहाँ पर जिससे यह लगा की यहाँ की पत्रकारिता स्वतंत्र नही है इसे शायद बुद्धिजीवी पत्रकार अधजल गगरी -- वाली कहावत कहेंगे लेकिन जो तस्वीर मे आप लोगो को दिखा रहा हूँ उससे शायद आपको इस बात का एहशास होगा की मे सत्य कह रहा हूँ जो फोटो आप देख रहे है वह आसनसोल के नजदीक धेमोमेन की घटना है एक आदमी को रोड पर सबके सामने जिन्दा जला दिया गया और जब यह घटना हो रही थी उस समय एक रिपोर्टर ने इसकी एक्सक्लूसिव तस्वीर ली - पुलिस ने तो पहले यह कहा की जो रिपोर्टर उस समय वहां था उससे भी पूछताछ की जायेगी ताकि यह तस्वीर मीडिया मैं नही जा सके लेकिन बंगाल पुलिस को ये समझ मैं नही आया की यहाँ सिर्फ बंगला पत्रकारिता नही होती है राष्ट्रभासा की भी पत्रकारिता होती है और यह फोट आपके सामने है। पता है? इस दिल दहलाने वाली घटना का कोई भी गवाह नही रहा और अब तो यह लग रहा है की शायद ही कोई इस घटना मैं सजा पायेगा। क्या करियेगा ? वामफ्रंट की सरकार मैं आम जनता का यही अंत होता है। इसमे राजनेता भी शामिल है। उनकी भी पीरा कभी समय मिलेगा तो विस्तार से लिखूंगा ।
उदय शंकर खावारे
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