Wednesday, January 21, 2009

बुश युग की शुरुआत और ओबामा

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बुश युग की शुरुआत और ओबामा क्या अमेरिका की जनता ने ओबामा को इस लिये वहां के सर्वोच्च पद पर बैठाया है कि वह काले हैं। यदि हां तो निसंदेह दुनिया आज भी रंगभेद के आधार पर बटी हुई है और यदि नहीं तो ओबामा की ताजपोशी की गलत व्खाया क्यों की जा रही है, क्या ओबामा के पहले अमेरिकी चुनाव में कोई ब्लैक राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ था। क्या ओबामा ने चुनाव के पहले वहां की जनता से यह अपील की थी कि वह काले हैं इसलिए लोग उसे वोट दे। यदि नहीं तो उसे काला राष्ट्रपति के रूप में क्यों प्रस्तुत किया जा रहा है। इस व्याख्या के पीछे दुनिया एक गुप्त सुख का अहसास तो नहीं कर रही है।एतिहासिक घटनाओं का संबंध मनोविज्ञान से होता है। भले ही ओबामा राष्ट्रपति के पद पर स्थापित हो गये हों,लेकिन आज भी लोगों के अचेतन में काले और गोरों को लेकर एक लकीर खीची हुई है, और इसी से अभिभूत होकर दुनिया भर में ओबामा के लिए प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। क्या इसके पहले अमेरिका के किसी राष्ट्रपति के लिए श्वेत शब्द का इस्तेमाल हुआ है। यदि नहीं तो ओबामा के लिए प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति शब्द का इस्तेमाल क्यों। क्या अमेरिका के राष्ट्रपति के आगे स्वेत और अश्वेत शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। फिर जश्न किस बात की मनाई जा रही है। यह एक रुटिन चुनाई से निकल के आये हैं, आर्थिक मंदी के दौर पर सवार होकर, आउटसोर्सिंग के ग्लोबल दौर में। अमेरिका की सेना इराक में जंग कर रही है, आतंकवाद के खिलाफ। क्या आतंकवाद के खिलाफ जारी जंग को ओबाना वापस लेंगे,और यदि हां,तो किस रूप में,। क्या इराक के तमाम अमेरिकी सैनिक वापस ले लिये जाएंगे,और उनका स्वागत अमेरिका में कैसे किया जाएगा,इतिहास की शुरुआत करते हुये ओबाना इन जलते हुये प्रश्नों पर खड़े है। बुश ने एक शानदार इतिहास रचा है। क्या ओबामा युग के शुरुआत के पहले, बुश युग का मूल्यांकन करना ठीक नहीं होगा,वैसे बुश युग आतंक वाद के खिलाफ बेखौफ जंग का युद्ध रहा है,आतंकवाद पर हर तरफ से हमले किये, बुद्घ की प्रतिमा को बामियान में उड़ाने वालों तालिबानियों को बंकरों में से बाहर कर दिया। सैनिक तानाशाह सद्दाम को डेमोक्रेटिक तरीके से मांद में पकड़ कर पीटा,हालांकि सद्दाम का लादेनवादी इस्लाम से दूर-दूर तक कहीं संबंध नहीं था, और मार डाला। अपने हिस्से में बुश कई बेहतरीन दृश्य ले गया गये,जिनपर फिल्मकारों को इतने द़श्य मिल जाएंगे कि सदियों तक फिल्म बनाते रहेंगे। बामियान में बुद्ध की प्रतिमा पर हमला के बाद पूरी दुनियां चकित हुई थी। बुश-युग का मूल्यांकन भारत के संदर्भ में बामियान से होना चाहिये। मनोज कुमार की एक फिल्म का गीत है, काले गोरों का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है... अश्वेत जैसे शब्द का वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए इस्तेमाल क्या अमेरिका में एक अश्वेत राष्ट्रपति के युग के नाम से जाना जाना चाहिये,यदि नहीं तो ओबाना के आगे अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति जैसे शब्द का अभी से इस्तेमाल क्यों। ओबाना का स्टफ टफ है,अमेरिका को आर्थिक मंदी के दौर में वह कैसे मूव करता है इस पर देखना है। लादेन और ओमर कहां है,भारत और अमेरिका के ऊपर होने वाले तालिबानी हमलों के दो अलग-अलग तारीखों को जोड़ दे,घटनाओं का अंबार लगा है,कंधार में एक जाबांज भारतीय पायलट से लेकर मुंबई में आमटे युग तक,बहुत सारे दृश्य हैं,फिल्मकारों के लिए लिए,अब कितनी कहानी बुन पाते हैं वो जाने।

3 comments:

योगेन्द्र मौदगिल said...

कंधार में एक जाबांज भारतीय पायलट से लेकर मुंबई में आमटे युग तक,बहुत सारे दृश्य हैं,फिल्मकारों के लिए लिए,अब कितनी कहानी बुन पाते हैं वो जाने।
behtreen, samyik evm sateek

Uday khaware said...

uday ji aapka blog ek din number 1 banega lekin thodi mehnat aapko karni paregai..aap aachh likhte hai

prateek sarthak said...

thanx..

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